प्रश्न 1. 'वह तोड़ती पत्थर' कविता का सारांश अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर- 'वह तोड़ती पत्थर' कविता सुप्रसिद्ध कवि सूर्यकान्त त्रिपाठी 'निराला' द्वारा रचित। मजदूर वर्ग की दयनीय दशा को उभारने वाली एक मार्मिक कविता है। कवि कहता है कि उसने इलाहाबाद के मार्ग पर एक मजदूरनी को पत्थर तोड़ते देखा। वह जिस पेड़ के नीचे बैठकर पत्थर तोड़ रही थी वह छायादार भी नहीं था, फिर भी विवशतावश वह वहीं बैठे पत्थर तोड़ रही थी। उसका शरीर श्यामवर्ण का था, तथा वह पूर्णत: युवा थी। उसके हाथ में एक भारी हथौड़ा था, जिससे वह बार-बार पत्थर पर प्रहार कर रही थी। उसके सामने ही सघन वृक्षों की पंक्ति, अट्टालिकाएं, भवन तथा परकोटे वाली कोठियाँ विद्यमान थीं।
कवि कहता है कि जैसे-जैसे धूप चढ़ती जा रही थी, उसी रूप में गरमी बढ़ती जा रही थी। समूचे शरीर को झुलसा देने वाली लू चल रही थी। ऐसे में जब उसने मुझे उसकी ओर देखते हुए देखा तो एक बार तो उस बनते हुए भवन को उसने देखा फिर यह लक्षित करके कि मैं अकेला ही था. उसने अपने तार-तार होकर फटे कपड़ों की ओर देखा। ऐसा लगा जैसे अपनी उस स्थिति द्वारा ही उसने मुझको अपनी दीन अवस्था की पूरी करुण गाथा उसी तरह सुना दी जिस प्रकार कोई सितार पर सहज भाव से उंगलियाँ चलाकर अनोखी झंकार उत्पन्न कर देता है। एक क्षण तक कवि की ओर देखने के पश्चात् वह श्रमिक युवती काँप उठी उसके मस्तक से पसीने के कण छलक तत्पश्चात् वह फिर अपने कर्म पत्थर तोड़ने में लग गई।
SUBSCRIBE YOUTUBE CHANNEL CLICK HERE 🔵
प्रश्न2 'चीफ की दावत' कहानी का सारांश अपने शब्दों में दो
चीफ़ की दावत मिस्टर शामनाथ के घर पर थी। शामनाथ और उनकी श्रीमती मेहमानों के आगमन के लिए अपने घर में सभी प्रकार की तैयारियाँ करने लगे। साफ-सफाई, टेबल-कुर्सियाँ, तिपाइयाँ, नेपकिन, फूल आदि बरामदे में पहुँच गये। ड्रिंक की व्यवस्था की गई। कमरे की सजावट की गई। शामनाथ को इस बात की चिंता सता रही थी कि यदि मेहमान आ जाएँगे, तो माँ का क्या होगा? उन्हें कहाँ छुपाएँ? चीफ के सामने उनकी उपस्थिति पति-पत्नी को अच्छी नहीं लगती थी। क्योंकि उनकी माँ जब सोती है, तो जोर-जोर से खर्राटों की आवाज आती है। इसलिए उन्हें कमरे में बंद कर दिया जाय अथवा पिछवाड़े वाली सहेली के यहाँ भेज दिया जाय। बहू और बेटे के इस तरह के व्यवहार माँ कुछ उदास थी, परन्तु बेटे से कुछ नहीं कहती है। सब कुछ सहन कर जाती है। पत्नी के कारण वह माँ की उपेक्षा भी कर देता है। आखिर चीफ़ साहब आ ही गए। माँ को अव्यवस्थित रूप में देखकर शामनाथ को क्रोध आया। चीफ के आते ही माँ हड़बड़ाकर उठ बैठी। सिर पर पल्ला रखते हुए खड़ी हो गई। वह सकुचाती हुई काँप रही थीं। चीफ़ के चेहरे पर मुस्कराहट थी। उसने माँ को नमस्ते कहा। हाथ मिलाने के लिए कहा। माँ घबरा गई। देसी अफसरों की स्त्रियाँ हँस पड़ी। दोनों ने अंग्रेजी में ‘हाउ डू यू डू?’ कहा। चीफ को गाँव के लोग बहुत पसंद थे। उसको कमरे की सजावट अच्छी लगी। यहाँ तक कि फुलकारी देने तक कह दिया। चीफ़ ने माँ से गाना भी सुना। वे बहुत खुश थे। शामनाथ इन सारी बातों से माँ पर रीझ गए। कुछ हद तक अनादर की भावना मिट गई। चीफ़ की खुशामदी से उसे तरक्की होनेवाली थी। चीफ़ के लिए माँ फुलकारी बनाकर देने के लिए तैयार हो गई। मेहमानों के जाने के बाद शामनाथ झूमते हुए आए और माँ को आलिंगन में भर लिया | “ओ मम्मी! तुमने आज रंग ला दिया | ” कहते हुए खुशी जाहिर की | उसने कहा – माँ, साहब तुमसे बहुत खुश हुए। माँ की काया बेटे के आलिंगन में छिप गई।
प्रश्न3 इंद्रधनुष बनने की प्रकिया समझाइए
वर्षा अथवा बादल में पानी की सूक्ष्म बूँदों अथवा कणों पर पड़ने वाली सूर्य किरणों का विछेपण (डिस्पर्शन) ही इंद्रधनुष के सुंदर रंगों का कारण है। सूर्य की किरणें वर्षा की बूँदों से अपवर्तित तथा परावर्तित होने के कारण इन्द्रधनुष बनाती हैं। इंद्रधनुष सदा दर्शक की पीठ के पीछे सूर्य होने पर ही दिखाई पड़ता है। पानी के फुहारे पर दर्शक के पीछे से सूर्य किरणों के पड़ने पर भी इंद्रधनुष देखा जा सकता है।अकास में संध्या समय पूर्व दिशा में तथा प्रात:काल पश्चिम दिशा में, वर्षा के पश्चात् लाल, नारंगी, पीला, हरा, आसमानी, नीला वर्णो का एक विशालकाय वृत्ताकार वक्र कभी-कभी दिखाई देता है। यह इंद्रधनुष कहलाता है।
SUBSCRIBE YOUTUBE CHANNEL CLICK HERE 🔵
प्रश्न4 डॉक्टर अब्दुल कलाम की महत्वपूर्ण उपलब्धियों पर संछेप में प्रकाश डालिए
एपीजे अब्दुल कलाम की उपलब्धियां:
- पायलट बनकर आकाश को छूने का सपना देखने वाले अबुल पकिर जैनुलाअबदीन अब्दुल कलाम, रामेश्वरम के रहने वाले थे। ये भारत के सबसे लोकप्रिय राष्ट्रपतियों में से एक थे। अब्दुल कलाम हमेशा अपनी किताबों, विज्ञान में योगदान देने और एक विद्वान के रूप में जाने जाते थे।
- अब्दुल कलाम का जन्म 15 अक्टूबर 1931 को तमिलनाडु के रामेश्वरम में हुआ था। अपने स्कूली दिनों में, ये समाचार पत्र बेचकर अपने परिवार का सहयोग किया करते थे। रामेश्वरम से अपनी स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद, अब्दुल कलाम ने 1960 में मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में स्नातक की उपाधि प्राप्त की और रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) के वैमानिकी विकास प्रतिष्ठान में एक वैज्ञानिक के रूप में शामिल हो गए। हालांकि ये एक लड़ाकू पायलट बनना चाहते थे, लेकिन इस पद को पाने से चूक गए। परन्तु इसके बाद ये रक्षा अनुसंधान एवं विकास सेवा (डीआरडीएस) के सदस्य बने और एक छोटी होवरक्राफ्ट को डिजाइन करने के साथ अपने करियर की शुरूआत की।
- 1969 में अब्दुल कलाम को भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) में स्थानांतरित कर दिया गया जहाँ इन्होंने स्वयं को “भारत के मिसाइल मैन” के रूप में स्थापित किया। 1980 में ये भारत के पहले उपग्रह प्रक्षेपण यान (एसएलवी -III) के प्रोजेक्ट डायरेक्टर बने थे।
- अब्दुल कलाम 1982 में भारत के प्रधानमंत्री और डीआरडीओ के सचिव के मुख्य वैज्ञानिक सलाहकार बने थे। इन्होंने राजगोपाल चिदंबरम के साथ पोखरण-2 परमाणु परीक्षण में मुख्य परियोजना समन्वयक के रूप में भी कार्य किया था। मीडिया के हस्तक्षेप से भारतीय लोगों को भी अब्दुल कलाम की उपलब्धियों के बारे जानकारी मिली और जिससे ये भारत के सबसे सफल और लोकप्रिय वैज्ञानिक बन गए।
- अब्दुल कलाम ने मशहूर कार्डियोलॉजिस्ट सोमा राजू के साथ मिलकर, एक सस्ते कोरोनैरी स्टेंट का आविष्कार किया था जिसका नाम कलाम-राजू स्टेंट दिया गया। इसके बाद इन दोनों लोगों ने ग्रामीण इलाकों में स्वास्थ्य देखभाल के लिए “कलाम-राजू टैबलेट” नामक एक टैबलेट पीसी भी डिजाइन किया था।
- अग्नि (बैलेस्टिक मिसाइल) और पृथ्वी (एयर डिफेंस मिसाइल) के विकास में अब्दुल कलाम की महत्वपूर्ण भूमिका होने के कारण ही इनको भारत के मिसाइल मैन के रूप में जाना जाता था।
- 2002 में, सभी पार्टियों ने सर्वसम्मति से या एक मत होकर अब्दुल कलाम को भारत के 11 वें राष्ट्रपति के रूप में चुना। एपीजे अब्दुल कलाम को भारत रत्न (1997), पद्म विभूषण (1990) और पद्म भूषण (19 81) सहित सबसे प्रतिष्ठित पुरस्कार मिले थे। अब्दुल कलाम को एक अंतरिक्ष से संबधित परियोजना में इनके प्रबंधन और नेतृत्व के लिए, नेशनल स्पेस सोसाइटी की ओर से वॉन ब्राउन अवॉर्ड (2013) से भी सम्मानित किया गया था।
- एपीजे कलाम की याद में 26 मई को स्विट्जरलैंड में विज्ञान दिवस के रूप में मनाया जाता है क्योंकि 2005 में इसी दिन (26 मई) को वे देश का दौरा करने के लिए गए थे।
- अब्दुल कलाम को एडिनबर्ग विश्वविद्यालय और ऑकलैंड विश्वविद्यालय समेत लगभग 40 विश्वविद्यालयों से डॉक्टरेट की उपाधि मिली थी।
Comments
Post a Comment
Please Subscribe and Comments my blog site.